मुख्य आचार्य जी का संदेश –
।। ओ३म् ।।
आर्यों / आर्याओं !
नमस्ते ।।
राष्टूीय आर्य निर्मात्री सभा की Web site का नवीनीकरण हुआ है । एतदर्थ सभा के अधिकारियों को धन्यवाद । आशा है इससे आर्य निर्माण सत्रों एवं गुरुकुल के कक्षाओं की जानकारी मिलती रहेगी । विगत कई वर्षों से अनेकों विद्वान् एवं आर्यगण मुझे ही राष्टूीय आर्य निर्मात्री सभा का संस्थापक समझ रहें है और लिख रहे हैं । उन सभी से विनम्र कहना है कि यह उचित नहीं है । इसके अधिकृत संस्थापक पं० लोकनाथ आर्य हैं । जो इस सभा के केन्द्रीय अध्यक्ष भी हैं । इस अभियान के प्रारम्भ करने में अनेकों का योगदान रहा है ‚ इसमें मेरा भी है ‚ इस विशालकाय एवं सुदृढ़ संगठन में सैकड़ों प्रचारकों की भाँति मैं भी एक प्रचारक हूँ । हजारों कार्यकर्त्ताओं की भाँति मैं भी एक सामान्य कार्यकर्त्ता हूँ । हजारों कार्यकर्त्ताओं एवं प्रचारकों की भाँति मेरी भी बात मानी जाती है ‚ हाँ प्रारम्भ से लेकर अब तक संघर्ष करते रहने के कारण ‚ हजारों गालियाँ एवं अपमान सहते रहने के कारण तथा गुरुजनों से अधीत आर्षविद्या के कारण कुछ अधिक सम्मान एवं महत्व आर्यगण दे देते हैं ‚ बस इतनी सी अधिकता है । अन्यथा इस संगठन के आधार एवं विस्तार में तो अनेकों आचार्य / आचार्या ‚ सैकड़ों प्रचारक ‚ हजारों कार्यकर्त्ता और लक्षाधिक आर्यजन हैं । यह महान सँगठन आर्यतन्त्र से चलता है । योग्य आगे बढ़कर कार्य करते हैं ‚सहयोग देते हैं ‚ संगठन के अंग बन जाते हैं । स्वार्थी ‚ अयोग्य और छद्मवेशी आर्य पीछे रह जाते हैं और विरोध करते हैं । यह संगठन स्वतः ही वैदिक सिद्धान्तों पर चलता है । प्रत्येक आर्य एवं आर्या ही अपने आप में आर्य निर्मात्री सभा ( संगठन ) है । तथा अपने आप में संगठन होते हुए इस विशाल एवं पवित्र संगठन की एक ईकाई भी है ‚ इसलिये इसमें कोई भेद नहीं रहता है ‚ सभी आर्य सर्वदा एकजुट रहते हैं और रहेंगे । यह संगठन सुदृढ़ तथा गतिशील रहते हुये आर्यों के राज्य की नींव भी रख रहा है परन्तु इसकी उष्णता का अनुभव अभी शेष है। −−−−− परमदेव मीमांसक