आचार्यों, सभा पदाधिकारियों, आर्याओं एवं आर्य सज्जनों !
सादर नमस्ते ।
पूर्व की भांति पुरुषों एवं महिलाओं का सत्र अलग-अलग ही लगेगा । अन्य प्रांतों में प्रारम्भिक अवस्था में किंचित् छूट दी गयी थी, वह भी अब नहीं रहेगी । पाठ्यक्रम में भेद , शिक्षण की अनुकूलता और विशिष्ट व्यवस्थाओं के कारण पृथक्-पृथक् ही सर्वत्र उचित है । अतः सभी आर्या और आर्यगणों से आग्रह, निवेदन और सभा का आदेश है कि इसी क्षण से दोनों प्रकार के सत्र अलग-अलग ही लगेंगे । कृपया इसका उल्लंघन न हो । यह आचार्यों को सुनिश्चित करना होगा । इसके उल्लंघन पर वहाँ सत्र ही रोक दिया जायेगा । आशा है आप सभी इसके पालन में सहयोग करेंगे । धन्यवाद । ————–
पं. लोकनाथ आर्य ‚ अध्यक्ष ‚ राष्ट्रीय आर्य निर्मात्री सभा