संगच्छध्वं………. ………………. …………. …
विश्वभर में सर्वश्रेष्ठ सिद्धांतों के वाहक और ऋषिवर दयानन्द जैसे महामनीषी द्वारा स्थापित आर्य समाज जब भिन्न-भिन्न रूपों में बंटकर षड्यंत्र का शिकार होकर एक निरीह संस्था मात्र बनकर रह गया हो। असंगठित, अनियोजित, मनमौजी पद्धति पर अवलंबित होकर जब विभिन्न नेता इसे अपनी-अपनी ओर पूरी सामर्थ्य लगाकर बलपूर्वक खींचने में लगे हों। भला तब निस्वार्थ रूप से सत्य पाने की लालसा से आर्यत्व की ओर अभिमुख हुए किस-किस आर्य की आत्मा रुदन न करती होगी ? पुनरपि ‘आशा बलवती राजन् ….’ की भावना के वशीभूत सैकड़ों आर्य वर्तमान में भी ऋषि परंपरा की अलख जगाते हुए अहोरात्र परिश्रम करते ही हैं। हम सब भी उसी भावना से कार्यरत रहे हैं। सकारात्मक आशाएं लेकर हमने भी अनेक द्वारों पर दस्तक दी है, अनेकों खेवनहारों को सादर नमन किया है,जिनमें प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभाएं हैं,दूसरी ओर आर्य निर्माण में लगी संस्थाएं हैं,सार्वदेशिक सभा की स्थिति भी आप सभी आर्य जानते ही हैं। सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा एक व्यवस्थित, सुदृढ़, सशक्त संगठन बनकर खड़ी हो, इस अभिलाषा से दिल्ली से मुंबई तक की अनेक बैठकों में हम भी सम्मिलित रहे हैं। किंतु १५-२० वर्षों के सुदीर्घ कालखंड में ही लाखों रुपयों से करोड़ों रुपयों के व्यय हो जाने पर भी सफलता अभी दूर तक दिखाई नहीं देती है। करोड़ों वर्षों की इस सृष्टि में मात्र कुछ वर्षों के इस छोटे से मानव जीवन में यदि ‘आर्यहित’ न हो पाया तो क्या जीवन है? ऐसा विचार करने वाले अनेक विद्वान मनीषियों की सत्प्रेरणा, मार्गदर्शन और सहयोग से हमने “श्री कृष्ण जन्माष्टमी” ०३ सितंबर २०१८ को आर्यसमाज – मॉडल टाउन,करनाल, हरियाणा के सभागार में विद्वानों के सान्निध्य और सैकड़ों आर्यों की उपस्थिति में एक सुव्यवस्थित, सुनियोजित ,अनुशासित और विशाल संगठन की रूपरेखा प्रस्तुत की है, जिस संगठन का नाम है ‘आर्य महासंघ’ । यह ‘आर्य महासंघ’ विश्वभर में फैले ऋषि ब्रह्मा से लेकर ऋषि दयानन्द पर्यंत समस्त ऋषि परंपरा को आदृत करने वाले सकारात्मक विचारशील आर्यों, आर्यसमाजों, आर्य संस्थाओं और आर्य सभाओं का स्वागत करता है कि आइए एक समुन्नति की भावना के साथ आगे बढ़ते हुए एक साथ चलें, भले ही आप किसी भी आर्य संस्था से संबद्ध हों तब भी रचनात्मक सैद्धान्तिक आर्य परिवार बनकर त्राहि-त्राहि करती मानवता को किञ्चित् त्राण तो दे ही सकते हैं। तो आइए आपका स्वागत है। अब तक स्थापना की घोषणा के दिन ही दो लाख से अधिक आर्य-आर्याओं का निर्माण कर चुकी एवं अब भी सतत् आर्य निर्माण के महान कार्य में संलग्न राष्ट्रीय आर्य निर्मात्री सभा ने ‘आर्य महासंघ’ में सम्मिलित होने के लिए ‘आर्य महासंघ’ में विलय हेतु घोषणा की है। इसी संगठन के साथ दो लाख से अधिक आर्य और आर्यायें भी इस आर्य महासंघ में सम्मिलित हो चुके हैं। इसके साथ ही राष्ट्रीय आर्य क्षत्रिय सभा, राष्ट्रीय आर्य छात्र सभा, राष्ट्रीय आर्य संरक्षिणी सभा और राष्ट्रीय आर्य राज सभा ने भी ‘आर्य महासंघ’ का अंग बनकर अपने अपने कार्य करने में गौरवानुभूति प्रकट की है। श्री महेश आर्य जी ने दिल्ली, रोहिणी में अपना फ्लैट ‘आर्य महासंघ’ के कार्यालय हेतु प्रदान किया है । तदुपरांत आर्य महासंघ में सैकड़ों आर्यसमाजों से भी सम्मिलित होने के लिये प्रस्ताव आने प्रारंभ हो चुके हैं। सभी मिलकर कार्य करना चाहते हैं । अतः आइए आप सबका भी इस आर्य महासंघ रूपी महा संगठन में हार्दिक स्वागत है ।
भवदीय:- आचार्य हनुमत् प्रसाद , अध्यक्ष, ‘आर्य महासंघ’