सभा निर्देश- महासचिव- 29/12/2016 — 1.20 PM
आर्य सज्जनों !
सादर नमस्ते ।
व्यक्ति ‚समाज एवं राष्ट्र के निर्माण तथा उन्नयन के लिये सिद्धान्तों का स्पष्ट परिज्ञान आवश्यक है । अनुकरण एवं प्रसार में उन्हीं सिद्धान्तों को सुभीता होती है जो संशय रहित होते हैं । इसलिये विद्वानों को समय-समय पर एकत्रित होकर सत्य सिद्धान्तों की सुस्पष्ट व्याख्या करनी चाहिये ‚ कालखण्ड में मिश्रित हो गये असत्य सिद्धान्तों को दूर करना चाहिये। देश ‚ काल और परिस्थितियों में उसे किस तरह लागू करवाया जाय इस पर भी विचार करके नीति बनानी चाहिये । जिससे साधारण जन सरलता से अंगीकृत कर धारण कर सके । इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु “ आर्य गुरुकुल महाविद्यालय ” प्रचारकों ‚ उपदेशकों ‚ पुरोहितों एवं आचार्यों के निर्माण के साथ-साथ सिद्धान्त संगोष्ठियों का महा प्रकल्प भी प्रारम्भ करने जा रही है । पहली सिद्धान्त संगोष्ठी 14 -15 जनवरी 2017 को गुरुकुल महाविद्यालय ‚ चित्तौड़ाझाल‚ मुजफ्फरनगर‚ उ०प्र० में है । सभा इसके लिये गुरुकुल महाविद्यालय के संचालकों एवं पदाधिकारियों का अभिनन्दन करती है और हर तरह के सहयोग के लिये आश्वासन देती है और आर्यों से भी यही उम्मीद करती है ।
आचार्य जितेन्द्र आर्य ‚ महासचिव ‚ राष्ट्रीय आर्य निर्मात्री सभा।